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मंगलवार, 15 फ़रवरी 2022

हिजाब मुस्लिम महिलाओं की पसन्द या मज़बूरी ?




हिजाब मुस्लिम महिलाओं का चुनाव संवैधानिक अधिकार या मज़बूरी 

भारत में हिजाब बुर्का या नक़ाब को लेकर राजनीति अपने  चरम पर है,स्कूल में  मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहन कर  आने की मांग सही  है या गलत ज्यादातर न्यूज चैनल पर इस  बात को  लेकर डिबेट चल रही है। सत्तासीन बीजेपी पार्टी और उनके समर्थक स्कूल कॉलेज और यूनिवर्सिटी मे मुसअधिकारों  छात्राओं के हिजाब पहनने


 का विरोध कर रहे वही विपक्ष मे बैठी कॉंग्रेस और इस्लाम के जानकार छात्राओं के मांग का समर्थन कर  रहे हैं,मामला कर्नाटक के सुप्रीम  कोर्ट तक पहुँच गया है। देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस पर क्या  फैसला लेता  है।

  कर्नाटक के बाद और राज्यों मे भी हिजाब की माँग  को लेकर प्रोटेस्ट शुरू हो गया है।
Hijab की मांग करने वालों का  कहना  है कि हिजाब पहनना मुस्लिम छात्राओं का संवैधानिक मूल अधिकार है और  प्राण aiwam दैहिक स्वतंत्रता के अनुच्छेद 21 के अनुसार उनका संवैधानिक आधार है। 


क्या हिजाब मुस्लिम महिलाओं का संवैधानिक अधिकार 

अनुच्छेद 21 भारतीय नागरिकों के  प्राकृतिक अधिकार जैसे अथवा निजता का अधिकार अर्थात अपने पसंद का पहनावा अपने मौलिक विचार  का अनुपालन करने  का अधिकार है कोई अन्य व्यक्ती या  संस्था उनके अधिकार का हनन नहीं कर सकता,इस आधार पर देखा जाए  तो मुस्लिम छात्राओं की माँग सही है फिर किस आधार पर इस माँग का विरोध किया जा रहा है। 
  भारतीय संविधान मे बहुत सारे विरोधाभासी अनुच्छेद हैँ ,एक  तरफ़ संविधान अनुच्छेद 21 के अंतर्गत किसी  भी  व्यक्ति को अपने  पसंदीदा परिधान पहनने का अधिकार प्रदान करता है वहीँ अनुच्छेद 14 किसी भी  व्यक्ति को जन्म,मत या सम्प्रदाय के आधार पर कोई विशेष अधिकार नहीं होंगे। 

धार्मिक स्वतंत्रता और चुनाव की स्वतंत्रता की आड़ मे धार्मिक अलगाववाद 

हिजाब को लेकर मुस्लिम छात्राओं का अनशन केवल मौलिक अधिकारों के संरक्षण के लिए है या  पर्दे के  पीछे का कारण कुछ  और  है। 
हिजाब protest मे  कुछ ऐसी  भी छात्राएं है  जो कुछ  दिन पहले तक बिना  हिजाब  के ही कॉलेज आया करती  थी आज हिजाब  को  लेकर प्रोटेस्ट कर  रही  हैं। क्या मौलिक अधिकार की आड़ में कट्टरपंथी bharat में  धार्मिक अलगाववाद को बढ़ावा देने का  प्रयास कर  रहे  हैँ?

हिजाब चुनाव या मज़बूरी 

हिजाब हमारा मौलिक अधिकार,  चुनाव का अधिकार ये शब्द सुनने और सुनाने मे बड़े ही आकर्षक और महिला अधिकारों का समर्थन करते हुए प्रतीत हो रहे हैं पर क्या सचमुच मे महिला अधिकारों का समर्थन करते हैं। 

पिकनिक स्पॉट और रेस्टोरेंट मे जीन्स और Croptop और कॉलेज में हिजाब पहनने वाली छात्राएँ क्या सभी मुस्लिम महिलाओं का प्रतिनिधित्व करती हैँ क्या वे इस बात की गारंटी ले सकती हैं कि हिजाब सभी मुस्लिम महिलाओं के लिए चुनाव ही है या उनका मौसमी चुनाव किसी दुसरी महिला की मजबूरी ना बन जाये।

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