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गुरुवार, 13 मार्च 2025

कैसे 'लोकतंत्र बचाने' के नाम पर देश तोड़ने की साजिश — बांग्लादेश, सीरिया से लेकर भारत तक

 कैसे 'लोकतंत्र बचाने' के नाम पर देश तोड़ने की साजिश — बांग्लादेश, सीरिया से लेकर भारत तक



आज हम ऐसे युग में जी रहे हैं, जहां 'लोकतंत्र' बचाने का नारा लगाकर ही लोकतंत्र के खिलाफ सबसे बड़ी साजिश रची जाती है। दुनिया के कई देशों में बाहरी ताकतों और आतंरिक गद्दारों ने मिलकर "लोकतंत्र खतरे में है" का झूठा शोर मचाया, और फिर देश को गृहयुद्ध, आतंकवाद और बर्बादी की ओर धकेल दिया।


सीरिया और बांग्लादेश इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं। और अब वही साजिश भारत में भी दुहराई जा रही है। आइए, इसे विस्तार से समझते हैं।



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सीरिया: लोकतंत्र के नाम पर बर्बादी की पटकथा


सीरिया में शुरुआत हुई थी लोकतंत्र के समर्थन में कुछ प्रदर्शनों से। लेकिन जल्दी ही उन प्रदर्शनों की बागडोर इस्लामिक कट्टरपंथियों के हाथ में चली गई।


लोकतंत्र बचाने का नारा लेकर विदेशी फंडिंग से आतंकवादी संगठन पैदा किए गए।


अमेरिका, यूरोप और खाड़ी देशों ने "सीरिया की जनता के लिए" के नाम पर आतंकियों को हथियार दिए।


नतीजा? गृहयुद्ध, लाखों मौतें, देश बर्बाद।



जो लोग "तानाशाही हटाओ, लोकतंत्र लाओ" की बात कर रहे थे, असल में सीरिया को इस्लामिक स्टेट (ISIS) का मैदान बनाना चाहते थे।



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बांग्लादेश: 'लोकतंत्र' के नाम पर भारत विरोधी कट्टरपंथ


बांग्लादेश में भी लोकतंत्र और मानवाधिकार के नाम पर जमात-ए-इस्लामी और हिफाजत-ए-इस्लाम जैसे संगठनों ने माहौल खराब किया।


इन संगठनों ने शेख हसीना सरकार को "तानाशाही" कहकर बदनाम किया, जबकि वही सरकार भारत समर्थक, लोकतांत्रिक और विकासशील थी।


सच्चाई ये थी कि कट्टरपंथी ताकतें नहीं चाहती थीं कि बांग्लादेश भारत के साथ रहे या सेक्युलर बना रहे।


नतीजा? दंगे, आतंकवादी हमले, भारत के खिलाफ साजिशें।




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भारत: वही स्क्रिप्ट, नए चेहरे


अब यही स्क्रिप्ट भारत में भी लागू की जा रही है।


जब भारत की जनता ने अपने बहुमत से सरकार चुनी, तभी से कुछ वर्गों ने "लोकतंत्र खतरे में है" का राग शुरू कर दिया।


CAA-NRC के दौरान भी यही हुआ —


> "मुसलमानों के खिलाफ कानून",

"तानाशाही आ गई",

"भारत में फासीवाद है"।




शाहीन बाग, दिल्ली दंगे, PFI की फंडिंग, सब उसी एजेंडे का हिस्सा थे।



ताकि भारत भी बांग्लादेश और सीरिया की तरह टूट जाए।



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क्या समानता है तीनों देशों में? (Pattern of Destruction)



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भारत में लोकतंत्र के नाम पर कौन लोग साजिश कर रहे हैं?


1. राजनीतिक दल — जो चुनाव में हारने के बाद सत्ता में न लौट पाने की हताशा में भारत को ही बदनाम करते हैं।



2. मीडिया का एक वर्ग — जो फर्जी खबरें फैलाता है, जैसे "लोकतंत्र खतरे में है", "अल्पसंख्यकों पर अत्याचार"।



3. विदेशी फंडिंग वाले NGOs — जो "मानवाधिकार" के नाम पर भारत के खिलाफ झूठा डेटा पेश करते हैं।



4. कट्टरपंथी संगठन (जैसे PFI) — जो सीधे आतंकवाद से जुड़े हैं।





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लोकतंत्र बचाने के नाम पर लोकतंत्र को गिरवी रखने की चाल


भारत के खिलाफ यह साजिश बहुत गहरी है।


ये लोग नहीं चाहते कि भारत मजबूत बने।


ये चाहते हैं कि भारत के मुसलमान, हिंदू, सिख आपस में लड़ते रहें।


ये चाहते हैं कि भारत की सरकार कमजोर हो जाए, ताकि बाहर से दुश्मन हमला कर सकें।




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क्या करना चाहिए? (What is the Solution?)


1. सच्चाई पहचानिए —

"लोकतंत्र बचाने" के नाम पर कौन लोग भारत को तोड़ना चाहते हैं, ये समझिए।



2. देशद्रोही तत्वों का विरोध कीजिए —

हर उस व्यक्ति का विरोध कीजिए जो भारत के खिलाफ फर्जी प्रचार करता है।



3. शांति और एकता बनाए रखिए —

सभी धर्मों के लोग भारत की एकता के लिए साथ आएं।



4. सरकार और सुरक्षाबलों का समर्थन कीजिए —

सेना, पुलिस, और सरकार जब सख्त कदम उठाती है, तो देश के लिए उठाती है।





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निष्कर्ष (Conclusion)


> "लोकतंत्र बचाने" का नारा अब एक अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र का हथियार बन चुका है।

सीरिया और बांग्लादेश की तरह भारत को भी फंसाने की पूरी कोशिश की जा रही है।


हमें सतर्क रहना होगा, नहीं तो भारत भी अराजकता और गृहयुद्ध की आग में झोंक दिया जाएगा।

कैसे 'लोकतंत्र बचाने' के नाम पर देश तोड़ने की साजिश — बांग्लादेश, सीरिया से लेकर भारत तक

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