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शनिवार, 15 मार्च 2025

भारत विज़न @2047: आत्मनिर्भर और विकसित भारत की ओर

🇮🇳 भारत विज़न @2047: आत्मनिर्भर और विकसित भारत की ओर

लेखक: Nikita upadhyay | प्रकाशित तिथि: 2025

📊 भारत विज़न @2047 – एक नज़र

🔹 प्रस्तावना

भारत 15 अगस्त 2047 को अपनी स्वतंत्रता की 100वीं वर्षगांठ मनाएगा। यह न केवल इतिहास का एक महत्वपूर्ण दिन होगा, बल्कि यह आत्मनिर्भर और विकसित भारत की दिशा में हमारी यात्रा का एक नया अध्याय भी होगा। प्रधानमंत्री द्वारा घोषित ‘विकसित भारत @2047’ योजना के तहत, भारत को अगले 25 वर्षों में वैश्विक शक्ति बनाने के लिए विभिन्न रणनीतियाँ बनाई गई हैं।

इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए आर्थिक सुधार, डिजिटल क्रांति, स्वच्छ ऊर्जा, रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और शिक्षा-स्वास्थ्य के क्षेत्र में व्यापक परिवर्तन किए जा रहे हैं।

🚀 भारत विज़न 2047 के 5 प्रमुख स्तंभ

  • आर्थिक महाशक्ति बनने का लक्ष्य
  • डिजिटल और तकनीकी क्रांति
  • पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास
  • रक्षा और अंतरिक्ष में आत्मनिर्भरता
  • शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुधार

📈 1️⃣ आर्थिक महाशक्ति बनने का लक्ष्य

2047 तक भारत का लक्ष्य 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना है। वर्तमान में भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, लेकिन 2047 तक इसे में शामिल करने की योजना बनाई गई है।

🏭 औद्योगिक विकास और विनिर्माण

भारत सरकार मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, और आत्मनिर्भर भारत अभियानों के माध्यम से स्थानीय उत्पादन और रोजगार सृजन को बढ़ावा दे रही है। PLI (Production Linked Incentive) योजनाओं के तहत मोबाइल, ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण को गति दी जा रही है।

💰 वित्तीय समावेशन और डिजिटल पेमेंट

डिजिटल पेमेंट के क्षेत्र में भारत पहले ही क्रांति ला चुका है। UPI के माध्यम से लेन-देन के नए रिकॉर्ड बनाए जा रहे हैं। 2047 तक ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी, क्रिप्टोकरेंसी, और स्मार्ट बैंकिंग को अपनाने की उम्मीद है।

💻 2️⃣ डिजिटल और तकनीकी क्रांति

भविष्य की दुनिया पूरी तरह से डिजिटल और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) पर आधारित होगी। भारत का लक्ष्य **AI, 6G, ब्लॉकचेन, और रोबोटिक्स** में अग्रणी बनना है।

📡 इंटरनेट और कनेक्टिविटी

भारत सरकार हर गाँव और कस्बे तक हाई-स्पीड इंटरनेट पहुँचाने के लिए भारतनेट योजना चला रही है। 2047 तक देश में 100% डिजिटल साक्षरता लाने की योजना बनाई गई है।

🤖 आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और रोबोटिक्स

2047 तक AI और रोबोटिक्स का उपयोग स्वास्थ्य, कृषि, रक्षा और ऑटोमेशन में व्यापक रूप से किया जाएगा। भारत में **AI स्टार्टअप्स** को सरकार समर्थन दे रही है।

🌿 3️⃣ पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास

भारत का लक्ष्य 2070 तक नेट ज़ीरो कार्बन एमिशन प्राप्त करना है। इसके लिए **सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और ग्रीन हाइड्रोजन** जैसी तकनीकों पर जोर दिया जा रहा है।

♻ स्वच्छ ऊर्जा की ओर कदम

2047 तक भारत 100% स्वच्छ ऊर्जा अपनाने का प्रयास कर रहा है। इसके लिए **सौर ऊर्जा पार्क, इलेक्ट्रिक वाहन (EV), और जैविक खेती** को बढ़ावा दिया जा रहा है।

🛰️ 4️⃣ रक्षा और अंतरिक्ष में आत्मनिर्भरता

भारत रक्षा उत्पादन और अंतरिक्ष अनुसंधान में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कार्य कर रहा है। DRDO और ISRO मिलकर मंगल और चंद्रमा पर मानव मिशन भेजने की योजना बना रहे हैं।

🔫 आधुनिक सैन्य उपकरण और स्वदेशी हथियार

भारतीय सेना के लिए स्वदेशी मिसाइल, लड़ाकू विमान और ड्रोन बनाए जा रहे हैं। **आत्मनिर्भर भारत पहल** के तहत रक्षा क्षेत्र में बड़े सुधार हो रहे हैं।

🏥 5️⃣ शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुधार

2047 तक भारत 100% साक्षरता का लक्ष्य रखता है। नई शिक्षा नीति (NEP) के तहत डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है।

💊 हेल्थकेयर में सुधार

सरकार टेलीमेडिसिन और AI-आधारित स्वास्थ्य सेवाओं पर काम कर रही है। सभी नागरिकों के लिए सुलभ स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है।

📚 शिक्षा में बदलाव

शिक्षा क्षेत्र में ऑनलाइन लर्निंग, व्यावसायिक पाठ्यक्रम, और कौशल विकास पर जोर दिया जा रहा है। सरकार का लक्ष्य ग्लोबल एजुकेशन हब बनना है।

🔹 निष्कर्ष

भारत का विजन 2047 केवल सरकार की योजना नहीं है, बल्कि यह हर भारतीय की सामूहिक जिम्मेदारी भी है। यदि हम सभी **पर्यावरण, अर्थव्यवस्था, शिक्षा और रक्षा** में योगदान दें, तो 2047 तक भारत **दुनिया की अग्रणी महाशक्ति** बन सकता है।

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डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों का भारत पर प्रभाव: भारत-अमेरिका संबंधों की समालोचनात्मक समीक्षा

भारत और अमेरिका के रिश्ते ऐतिहासिक रूप से कूटनीतिक, आर्थिक और सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण रहे हैं। जब डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) अमेरिका के राष्ट्रपति बने, तब वैश्विक राजनीति और व्यापार में बड़े बदलाव देखे गए। ट्रंप की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति ने दुनिया भर के देशों को प्रभावित किया, जिनमें भारत भी शामिल है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों का भारत पर क्या प्रभाव पड़ा, और कैसे दोनों देशों के संबंधों में उतार-चढ़ाव आए।

1. व्यापार नीति (Trade Policy) और भारत पर प्रभाव

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल में "अमेरिका फर्स्ट" नीति को आगे बढ़ाया, जिसका मुख्य उद्देश्य अमेरिका के हितों की रक्षा करना था। इसी नीति के तहत उन्होंने GSP (Generalized System of Preferences) के तहत भारत को मिलने वाली व्यापार छूट को समाप्त कर दिया।

भारत को क्या नुकसान हुआ?

  • भारतीय उत्पाद महंगे हो गए और अमेरिका में उनकी बिक्री पर असर पड़ा।
  • कपड़ा, आईटी और कृषि उत्पादों के निर्यात में गिरावट।

2. वीजा नीति (Visa Policy) और भारतीय आईटी सेक्टर

ट्रंप ने H1B वीजा के नियमों को सख्त कर दिया। भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स और तकनीकी विशेषज्ञों के लिए अवसर सीमित हो गए।

प्रभाव:

  • भारतीय आईटी कंपनियों को नुकसान।
  • भारतीय युवाओं के लिए अमेरिका में नौकरी के अवसर कम हुए।
  • वर्क परमिट रिन्यूअल की प्रक्रिया कठिन।

3. रक्षा और सामरिक सहयोग (Defense and Strategic Partnership)

ट्रंप प्रशासन के दौरान भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग में वृद्धि देखी गई।

महत्वपूर्ण रक्षा सौदे:

  • अपाचे, चिनूक हेलीकॉप्टर और P-8I विमान।
  • BECA (Basic Exchange and Cooperation Agreement) समझौता।

4. चीन के खिलाफ नीति और भारत को लाभ (China Policy & India)

ट्रंप प्रशासन ने चीन के खिलाफ सख्त रुख अपनाया। इसका फायदा भारत को भी मिला। लद्दाख विवाद के समय अमेरिका ने भारत को समर्थन दिया।

भारत को क्या मिला?

  • राजनयिक समर्थन।
  • QUAD में भारत की भूमिका मजबूत।

5. ईरान और रूस पर अमेरिकी नीतियां (Impact on Iran & Russia Relations)

ईरान पर प्रतिबंधों से भारत की तेल आपूर्ति प्रभावित हुई। S-400 मिसाइल डील पर भी अमेरिका ने आपत्ति जताई।

6. कोविड-19 महामारी और भारत-अमेरिका संबंध (COVID-19 Impact)

महामारी के दौरान भारत ने अमेरिका को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा भेजी, लेकिन भारत को जरूरत के समय अमेरिका से मदद देर से मिली।

7. जलवायु परिवर्तन पर ट्रंप की नीति और भारत (Climate Policy Impact on India)

ट्रंप ने अमेरिका को पेरिस जलवायु समझौते से बाहर किया। इससे भारत पर नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्यों को पूरा करने का दबाव बढ़ा।

8. भारत की 'आत्मनिर्भर भारत' की ओर यात्रा

ट्रंप की नीतियों के चलते भारत ने आत्मनिर्भर भारत अभियान की ओर कदम बढ़ाए। रक्षा, आईटी, मैन्युफैक्चरिंग में आत्मनिर्भर बनने पर बल दिया।

निष्कर्ष (Conclusion)

डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में भारत-अमेरिका संबंधों ने कई उतार-चढ़ाव देखे। व्यापार और वीजा नीतियों ने जहां भारत के आर्थिक हितों को प्रभावित किया, वहीं रक्षा और रणनीतिक सहयोग से भारत को मजबूती मिली। चीन, रूस और ईरान के संदर्भ में भारत ने संतुलन साधने की कोशिश की। भारत ने सीखा कि आत्मनिर्भर बने बिना वैश्विक राजनीति में टिके रहना कठिन है।

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)

Q1. डोनाल्ड ट्रंप की भारत के लिए सबसे बड़ी नीति क्या थी?

ट्रंप की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति, जिससे व्यापार और वीजा नीतियां प्रभावित हुईं।

Q2. BECA समझौता क्या है?

BECA रक्षा समझौता है, जिससे भारत को अमेरिकी सैन्य तकनीक और डाटा की सुविधा मिली।

Q3. क्या ट्रंप की नीतियों से भारत-अमेरिका रक्षा संबंध मजबूत हुए?

हां, रक्षा सहयोग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।

Q4. ट्रंप की वीजा नीति का भारतीय आईटी सेक्टर पर क्या असर पड़ा?

भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स के लिए अमेरिका में नौकरी पाना कठिन हुआ।

गुरुवार, 13 मार्च 2025

कैसे 'लोकतंत्र बचाने' के नाम पर देश तोड़ने की साजिश — बांग्लादेश, सीरिया से लेकर भारत तक

 कैसे 'लोकतंत्र बचाने' के नाम पर देश तोड़ने की साजिश — बांग्लादेश, सीरिया से लेकर भारत तक




आज हम ऐसे युग में जी रहे हैं, जहां 'लोकतंत्र' बचाने का नारा लगाकर ही लोकतंत्र के खिलाफ सबसे बड़ी साजिश रची जाती है। दुनिया के कई देशों में बाहरी ताकतों और आतंरिक गद्दारों ने मिलकर "लोकतंत्र खतरे में है" का झूठा शोर मचाया, और फिर देश को गृहयुद्ध, आतंकवाद और बर्बादी की ओर धकेल दिया।


सीरिया और बांग्लादेश इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं। और अब वही साजिश भारत में भी दुहराई जा रही है। आइए, इसे विस्तार से समझते हैं।



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सीरिया: लोकतंत्र के नाम पर बर्बादी की पटकथा


सीरिया में शुरुआत हुई थी लोकतंत्र के समर्थन में कुछ प्रदर्शनों से। लेकिन जल्दी ही उन प्रदर्शनों की बागडोर इस्लामिक कट्टरपंथियों के हाथ में चली गई।


लोकतंत्र बचाने का नारा लेकर विदेशी फंडिंग से आतंकवादी संगठन पैदा किए गए।


अमेरिका, यूरोप और खाड़ी देशों ने "सीरिया की जनता के लिए" के नाम पर आतंकियों को हथियार दिए।


नतीजा? गृहयुद्ध, लाखों मौतें, देश बर्बाद।



जो लोग "तानाशाही हटाओ, लोकतंत्र लाओ" की बात कर रहे थे, असल में सीरिया को इस्लामिक स्टेट (ISIS) का मैदान बनाना चाहते थे।



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बांग्लादेश: 'लोकतंत्र' के नाम पर भारत विरोधी कट्टरपंथ


बांग्लादेश में भी लोकतंत्र और मानवाधिकार के नाम पर जमात-ए-इस्लामी और हिफाजत-ए-इस्लाम जैसे संगठनों ने माहौल खराब किया।


इन संगठनों ने शेख हसीना सरकार को "तानाशाही" कहकर बदनाम किया, जबकि वही सरकार भारत समर्थक, लोकतांत्रिक और विकासशील थी।


सच्चाई ये थी कि कट्टरपंथी ताकतें नहीं चाहती थीं कि बांग्लादेश भारत के साथ रहे या सेक्युलर बना रहे।


नतीजा? दंगे, आतंकवादी हमले, भारत के खिलाफ साजिशें।




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भारत: वही स्क्रिप्ट, नए चेहरे


अब यही स्क्रिप्ट भारत में भी लागू की जा रही है।


जब भारत की जनता ने अपने बहुमत से सरकार चुनी, तभी से कुछ वर्गों ने "लोकतंत्र खतरे में है" का राग शुरू कर दिया।


CAA-NRC के दौरान भी यही हुआ —


> "मुसलमानों के खिलाफ कानून",

"तानाशाही आ गई",

"भारत में फासीवाद है"।




शाहीन बाग, दिल्ली दंगे, PFI की फंडिंग, सब उसी एजेंडे का हिस्सा थे।



ताकि भारत भी बांग्लादेश और सीरिया की तरह टूट जाए।



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क्या समानता है तीनों देशों में? (Pattern of Destruction)



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भारत में लोकतंत्र के नाम पर कौन लोग साजिश कर रहे हैं?


1. राजनीतिक दल — जो चुनाव में हारने के बाद सत्ता में न लौट पाने की हताशा में भारत को ही बदनाम करते हैं।



2. मीडिया का एक वर्ग — जो फर्जी खबरें फैलाता है, जैसे "लोकतंत्र खतरे में है", "अल्पसंख्यकों पर अत्याचार"।



3. विदेशी फंडिंग वाले NGOs — जो "मानवाधिकार" के नाम पर भारत के खिलाफ झूठा डेटा पेश करते हैं।



4. कट्टरपंथी संगठन (जैसे PFI) — जो सीधे आतंकवाद से जुड़े हैं।





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लोकतंत्र बचाने के नाम पर लोकतंत्र को गिरवी रखने की चाल


भारत के खिलाफ यह साजिश बहुत गहरी है।


ये लोग नहीं चाहते कि भारत मजबूत बने।


ये चाहते हैं कि भारत के मुसलमान, हिंदू, सिख आपस में लड़ते रहें।


ये चाहते हैं कि भारत की सरकार कमजोर हो जाए, ताकि बाहर से दुश्मन हमला कर सकें।




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क्या करना चाहिए? (What is the Solut

1. सच्चाई पहचानिए —

"लोकतंत्र बचाने" के नाम पर कौन लोग भारत को तोड़ना चाहते हैं, ये समझिए।



2. देशद्रोही तत्वों का विरोध कीजिए —

हर उस व्यक्ति का विरोध कीजिए जो भारत के खिलाफ फर्जी प्रचार करता है।



3. शांति और एकता बनाए रखिए —

सभी धर्मों के लोग भारत की एकता के लिए साथ आएं।



4. सरकार और सुरक्षाबलों का समर्थन कीजिए

सेना, पुलिस, और सरकार जब सख्त कदम उठाती है, तो देश के लिए उठाती है।





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निष्कर्ष (Conclusion)


> "लोकतंत्र बचाने" का नारा अब एक अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र का हथियार बन चुका है।

सीरिया और बांग्लादेश की तरह भारत को भी फंसाने की पूरी कोशिश की जा रही है।


हमें सतर्क रहना होगा, नहीं तो भारत भी अराजकता और गृहयुद्ध की आग में झोंक दिया जाएगा।

बुधवार, 12 मार्च 2025

बलूचिस्तान मानवाधिकार संकट: दुनिया बलूच लोगों की आवाज़ क्यों नहीं सुन रही?

 




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बलूचिस्तान मानवाधिकार संकट: दुनिया बलूच लोगों की आवाज़ क्यों नहीं सुन रही?


परिचय: बलूचिस्तान — एक भूली हुई लड़ाई


बलूचिस्तान — दक्षिण एशिया का एक ऐसा हिस्सा है, जहाँ हर दिन मानवाधिकारों का हनन हो रहा है।

जब दुनिया यूक्रेन, फिलिस्तीन, या रोहिंग्या की बात करती है, तब बलूच लोगों की तकलीफें कहीं खो जाती हैं।

आज वक्त है कि दुनिया बलूच लोगों के संघर्ष और अधिकारों पर बात करे।



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बलूचिस्तान की डेमोग्राफी: कौन हैं बलूच?


बलूचिस्तान, पाकिस्तान का 44% हिस्सा है, लेकिन यहां की आबादी सिर्फ 5% के आसपास है।


बलूच लोग यहां की मुख्य जनजाति हैं, जो बलूची भाषा बोलते हैं।


बड़े शहर: क्वेटा, ग्वादर, तुरबत, खुज़दार।


बलूचिस्तान में गैस, सोना, तांबा जैसे बहुमूल्य खनिज भंडार हैं, फिर भी बलूच लोग आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं।




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BLA (बलूच लिबरेशन आर्मी): आंदोलन या प्रतिक्रिया?


जब भी बलूचिस्तान की बात होती है, BLA (बलूच लिबरेशन आर्मी) का नाम सामने आता है।

पर क्या BLA सिर्फ एक आतंकी संगठन है?

BLA का उदय एक प्रतिक्रिया है दशकों के अन्याय और शोषण की।


BLA के बनने के मुख्य कारण:


बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों पर बाहरी लोगों का कब्ज़ा।


बलूच लोगों की राजनीतिक, सामाजिक उपेक्षा।


गायबशुदा लोग (Enforced Disappearances) — जिनका कोई सुराग नहीं।


राज्य प्रायोजित हिंसा और सेना की ज्यादतियां।



दुनिया को हिंसा और असली मानवाधिकार मुद्दों में फर्क करना सीखना होगा।



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बलूचिस्तान में मानवाधिकार हनन: जमीनी हकीकत


1. गायबशुदा लोग (Enforced Disappearances):


हर महीने सैकड़ों बलूच छात्र, कार्यकर्ता, लेखक गायब कर दिए जाते हैं।

उनके परिवार सालों तक सड़कों पर इंसाफ़ की भीख मांगते हैं।


2. फर्जी मुठभेड़ और हत्याएं (Extra Judicial Killings):


अनेकों कार्यकर्ताओं की लाशें मिलती हैं — जिनपर टॉर्चर के निशान साफ़ दिखते हैं।


3. मीडिया बैन (Media Blackout):


बलूचिस्तान में पत्रकारों की एंट्री बैन है।

जो भी सच्चाई सामने लाने की कोशिश करता है, वो या तो गायब हो जाता है या मारा जाता है।


4. गरीबी और विकास की कमी:


इतने संसाधनों के बावजूद, बलूच लोग स्कूल, अस्पताल, साफ़ पानी तक से वंचित हैं।

CPEC (China Pakistan Economic Corridor) जैसे प्रोजेक्ट से सिर्फ बाहरी लोग फायदे में हैं, बलूच लोगों को कुछ नहीं।



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दुनिया को बलूच लोगों की आवाज़ क्यों उठानी चाहिए?


1. मानवाधिकार हर किसी के लिए हैं (Human Rights are Universal):


जब दुनिया हर जगह इंसाफ़ की बात करती है, बलूच लोग क्यों पीछे छूट गए हैं?


2. क्षेत्रीय शांति (Regional Stability):


बलूचिस्तान का हल निकले बिना दक्षिण एशिया में स्थिरता नामुमकिन है।


3. भू-राजनीतिक महत्व (Geopolitical Importance):


CPEC और ग्वादर पोर्ट जैसे बड़े प्रोजेक्ट बलूचिस्तान से जुड़े हैं।

अगर बलूच लोग खुश नहीं होंगे, तो ये प्रोजेक्ट कभी सुरक्षित नहीं रहेंगे।



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दुनिया क्या कर सकती है?


1. बलूचिस्तान मुद्दे को UN और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाए।


अगर दुनिया पैलेस्टाइन, यूक्रेन, तिब्बत की बात कर सकती है, तो बलूचिस्तान की भी करे।


2. स्वतंत्र मानवाधिकार जांच की अनुमति दे।


Amnesty International, Human Rights Watch जैसी संस्थाओं को बलूचिस्तान जाने दिया जाए।


3. पाकिस्तान और ईरान पर कूटनीतिक दबाव।


बलूच नेताओं से संवाद हो, ताक़ि शांति और इंसाफ़ का रास्ता निकले।


4. बलूच सिविल सोसायटी, छात्रों और कार्यकर्ताओं की सहायता।


दुनिया को बलूच छात्रों, लेखकों और शांतिप्रिय कार्यकर्ताओं को समर्थन देना चाहिए।



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निष्कर्ष: बलूचिस्तान की आवाज़ अब दबनी नहीं चाहिए


बलूचिस्तान का मुद्दा सिर्फ राजनीति नहीं, इंसानियत का सवाल है।

जब तक दुनिया चुप रहेगी, बलूच लोग दर्द और अन्याय में जीते रहेंगे।

आज अगर हमने आवाज़ नहीं उठाई, तो कल बहुत देर हो जाएगी।


"अगर दुनिया यूक्रेन, फिलिस्तीन, और तिब्बत के लिए बोल सकती है, तो बलूचिस्तान के लिए क्यों नहीं?"



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SEO Keywords (गूगल रैंकिंग के लिए उपयोग किए गए शब्द):


बलूचिस्तान मानवाधिकार (Balochistan Human Rights)


बलूच लोगों का संघर्ष (Baloch People Struggle)


बलूचिस्तान मुद्दा (Balochistan Issue)


बलूच लिबरेशन आर्मी (Baloch Liberation Army BLA)


गायब लोग बलूचिस्तान (Enforced Disappearances in Balochistan)


पाकिस्तान बलूच संघर्ष (Pakistan Baloch Conflict)


CPEC और बलूचिस्तान (CPEC and Balochistan)


भारत विज़न @2047: आत्मनिर्भर और विकसित भारत की ओर

🇮🇳 भारत विज़न @2047: आत्मनिर्भर और विकसित भारत की ओर लेखक: Nikita upadhyay | प्रकाशित तिथि: 2025 📊 भारत विज़न @2047 – एक नज़र 🔹 ...